अश्क में शायरी

लिखूं कुछ आज ये वक़्त का तकाजा है,

दिल में दर्द अभी ताजा-ताजा है,

गिर पड़ते हैं आंसू कागज पर,
...
लगता है मेरी कलम में शायरी कम और अश्क ज्यादा है...
 

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Sunday, February 13, 2011

अश्क में शायरी

लिखूं कुछ आज ये वक़्त का तकाजा है,

दिल में दर्द अभी ताजा-ताजा है,

गिर पड़ते हैं आंसू कागज पर,
...
लगता है मेरी कलम में शायरी कम और अश्क ज्यादा है...
 

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